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Friday, January 1, 2010

ष से षट्कोण....









कहता है, प्यारे बच्चों,
देखो नया साल है आया,
अशांति का मिटा अँधेरा,
ढेर सारी खुशियाँ लाया।
सुख-शांति हो चारों ओर,
यह नव-संदेश है लाया,
लड़ाई-झगड़ों को करके खत्म,

यह प्रेम-भाईचारा बढ़ाने आया।
मन लगाकर करो पढ़ाई,
आगे बस तुम बढ़ते जाओ,
करके अच्छे-अच्छे काम,
सबके जीवन में खुशियाँ लाओ।।
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से षट्कोण, सुन लो मुन्नू,
तुम भी सुन लो, चुन्नू-टुन्नू,
पढ़ने से कभी जी ना चुराना,
किसी का भी दिल ना दुखाना,
करना सदा अच्छे ही काम,
तुम्हें मिलेगा उचित इनाम,
सब तुमसे प्यार करेंगे,
तेरा ही गुणगान करेंगे,
तुम होगे सबके दिल के प्यारे,
सुन लो मेरे राज-दुलारे।।
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_______प्रभाकर पाण्डेय________

3 comments:

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

बहुत अच्छी लगी यह साइट। आप हिन्दी ब्लॉगिंग के एक खाली हिस्से को सार्थकता से भर रहे हैं।

वर्णमाला के अक्षरों पर आधारित कविताओं में अक्षर की आकृति के गुण और कुछ प्रचलित शब्दों के परिचय भी आने चाहिए।

शुभकामनाएँ।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

प्रभाकर जी,मैंने कहीं पढ़ा था कि हिन्दी के मानकी करण के प्रयास में इस अक्षर "ष" को समाप्त करा जा रहा है। अक्षरों की मूल ध्वनियां आदि में हेरफेर करे जा रहे हैं ताकि वे कम्प्यूटरी अंदाज़ में आ सकें। स्तुत्य है आपका प्रयास

Udan Tashtari said...

सार्थक प्रयास!! साधुवाद!!

 
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