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Monday, August 17, 2009

न से नदी........न से नल










कहता है प्यारे बच्चों,
आलस्य कभी करना नहीं,
हर काम करो मन लगाकर,
बेवजह तुम डरना नहीं,
मंजिल तुम्हें मिल जाएगी,
बस कहीं रूकना नहीं,
जीत तुम्हें मिल जाएगी,
पीछे कभी हटना नहीं।
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से नदी, बस बहना जाने,
थकना, रूकना कभी न जाने,
प्यासों की वह प्यास बुझाए,
अपने मार्ग पर चलती जाए,
कंकड़-पत्थर में भी बहकर,
हर जगह पर हरियाली लाए,
इसलिए वह पूजी जाए,
और नदी मइया कहलाए,
हम उसपर बाँध बनाएँ,
और बिजली भी उपजाएँ,
हमारा कर्तव्य है यह बनता,
कि हम उसे प्रदूषण-मुक्त बनाएँ।।
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- प्रभाकर पाण्डेय
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1 comment:

ओम आर्य said...

ek khusoorat baal kawita .......padhakar harsh huaa......badhaaee

 
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