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Friday, June 19, 2009

ड से डमरू......ड ,से डलिया








कहता है डुग-डुग-डुग,
प्यारे बच्चों मेरी बात सुनो,
मन लगाकर करो पढ़ाई,
पढ़-लिखकर होशियार बनो।
अंधेरे का नामोनिशान मिटे,
तुम ऐसा प्रकाश बनो,
करके अच्छे-अच्छे काम,
गाँधी जैसा तुम महान बनो।
भारत माँ के सच्चे सेवक,
और सच्चे तुम लाल बनो,
देश सेवा का व्रत लिए तुम,
लक्ष्मी, शिवा व प्रताप बनो।।
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१.
से डमरू, बाजे डम-डम,
देखो बंदर नाचे छम-छम,
बंदर के संग एक बंदरिया,
ओढ़ी है वह लाल चुनरिया,
बंदर को वह मुँह चिढ़ाए,
बात-बात पर काटे धाए,
पर बंदर सदा हँसता जाए,
और बार-बार उसे मनाए।।
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२.
से डमरू, से डलिया,
डलिया एक लिए है रजिया,
फूलों को वह तोड़ती जाए,
व डलिया में रखती जाए,
इन फूलों की बनेगी माला,
जिसे पहनेगा डमरूवाला,
वह डम-डम डमरू बजाएगा,
खेल-तमाशे दिख लाएगा,
बंदर-बंदरिया को नचाएगा,
बच्चों का मन बहलाएगा।
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-प्रभाकर पाण्डेय
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