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Friday, June 6, 2008

च -- चरखा






कहता है चाँद बनो तुम,
चाँद जैसे काम करो तुम,
जब सूरज डूब जाता है,
अंधकार फैल जाता है,
तब चाँद जाता है,
रोशनी कर जाता है।
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से चरखा होता है,
इससे सूत बनता है,
गाँधीजी इसे चलाते थे,
स्वदेशी की बात बताते थे।
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चरखे से बना सूत,
सूत से बना कपड़ा,
कपड़े से बनी टोपी,
जिसे पहने है गोपी।
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प्रभाकर पाण्डेय
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1 comment:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

 
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