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Sunday, June 8, 2008

झ -- झंडा





कहता है, झम-झम-झम,
देखो बरस रहा है पानी,
भीग रहे हैं पेड़ व पौधे,
भीग रहा नदी का पानी,
भीग रहे हैं खेत-खलिहान,
भीग रहे मेरे नाना-नानी।
चलो कागज की नाव बनाएँ,
वर्षा-जल में इसे तैराएँ,
बारिश का आनन्द उठाएँ,
बचपन अपना सफल बनाएँ।।
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बच्चों, से होता है झंडा,
जो लहर-लहर लहराता है,
भारत का झंडा है तिरंगा,
जो भारत की शान बढ़ाता है।
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-प्रभाकर पाण्डेय
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2 comments:

Anonymous said...

सुंदर.

Rajesh Roshan said...

यह ब्लॉग कई अन्य ब्लॉग से कही ज्यादा जीवित लगता है. आज से सालो बाद भी थोड़े बहुत बदलावों के बावजूद ये हमेशा पढ़ा जाने वाला ब्लॉग बना रहेगा... आपको बहुत बधाई.....

 
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