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Tuesday, January 22, 2008

आम








१.
सुंदर और सजीला है,
कितना-कितना मीठा है,
मेरा जी ललचाता है,
आम फलों का राजा है।
_______________

.
सभी फलों का राजा है,
कभी हरा कभी पीला है,
मुँह से चूसा जाता है,
आम सभी को भाता है।

-प्रभाकरगोपालपुरिया

3 comments:

Keerti Vaidya said...

sweet poem.....

ase he meri nani ke ghar sab aur akhrot ke ped they ..mujhey aaj apni nani ke yaad aa gayi..

राज भाटिय़ा said...

प्रभाकर पाण्डेय आप की कविता बहुत अच्छी हे पढते पढते मुहं मे पानी आगया, ५,१० किलो आम भिजवादे तो,,, मेहरबानी हो गी,
आप बहुत अच्छा लिखते हे,

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही अच्छी कविता हे, आप की दुसरी कवितये भी पढी,बहुत ही मनभावन लिखते हे आप

 
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