क्ष कहता प्यारे बच्चों,
अपने बारे में बताता हूँ,
वर्णमाला में भले हूँ मैं,
पर संयुक्ताक्षर कहलाता हूँ।
क् और ष के मिलन से,
मेरा यह रूप है आया,
क्षत्रिय, कक्षा जैसे शब्दों में,
मैंने अपने आप को पाया।
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क्ष से क्षत्रिय, रणयोद्धा कहलाए,
शत्रु को पीठ कभी न दिखाए,
देश सेवा का व्रत लिए,
कर्तव्य-मार्ग पर बढ़ता जाए।
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प्रभाकर पाण्डेय
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1 comment:
Sundar prastuti
HOLI MUBARAK!
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