ज्ञ कहता है प्यारे बच्चों,
अब आई है मेरी बारी,
शांत होकर बैठो सभी,
सुनो मेरी कहानी प्यारी।
ज् व ञ के मिलने से,
मैं अस्तित्व में आया,
वर्णमाला का अंतिम वर्ण,
और संयुक्ताक्षर कहलाया।
कुछ लोग मेरा उच्चारण,
'ग्य' करते जैसे विग्यान,
तो कुछ लोग मेरा उच्चारण,
'ज्न' करते जैसे विज्नान।
मेरा उच्चारण कैसे भी हो,
पर मैं ज्ञ ही तो हूँ,
मुझे तो प्रसन्नता है कि,
मैं वर्णमाला में हूँ।
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ज्ञ से ज्ञानी, ज्ञान सिखाए,
हित-अहित की बात बताए,
सबको अच्छी राह दिखाए,
समाज में सुख-शांति लाए।
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प्रभाकर पाण्डेय
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