ज्ञ कहता है प्यारे बच्चों,
अब आई है मेरी बारी,
शांत होकर बैठो सभी,
सुनो मेरी कहानी प्यारी।
ज् व ञ के मिलने से,
मैं अस्तित्व में आया,
वर्णमाला का अंतिम वर्ण,
और संयुक्ताक्षर कहलाया।
कुछ लोग मेरा उच्चारण,
'ग्य' करते जैसे विग्यान,
तो कुछ लोग मेरा उच्चारण,
'ज्न' करते जैसे विज्नान।
मेरा उच्चारण कैसे भी हो,
पर मैं ज्ञ ही तो हूँ,
मुझे तो प्रसन्नता है कि,
मैं वर्णमाला में हूँ।
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ज्ञ से ज्ञानी, ज्ञान सिखाए,
हित-अहित की बात बताए,
सबको अच्छी राह दिखाए,
समाज में सुख-शांति लाए।
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प्रभाकर पाण्डेय
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10 comments:
...bahut sundar !!!
बहुत सुन्दर कृति !!
wah pandeji........very nice
सुन्दर प्रस्तुति ।
bahut hi gyanvardhak kavita......thanks
खरगोश का संगीत राग रागेश्री
पर आधारित है जो कि खमाज
थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल
निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत
में पंचम का प्रयोग
भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
कि चहचाहट से मिलती है.
..
Here is my webpage ; संगीत
बहुत सुन्दर रचना और प्रभावी लेखनी | बढ़िया ब्लॉग | आभार | ब्लॉग पर पहली बार आकर अच्छा लगा | भविष्य की पोस्ट्स के लिए अनुसरण करने के लिए विजेट लगायें | नमस्कार |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
उम्दा अभिव्यक्ति
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 23 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी ....
सुभाष चंद्र बोस जीवनी के लिए चित्र परिणामhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आपने काफी सुन्दर लिखा है...
इसी विषय Family and Father Hindi Article से सम्बंधित मिथिलेश२०२०.कॉम पर लिखा गया लेख अवश्य देखिये!
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