घ कहता है, प्यारे बच्चों,
ज्ञान का दीप जलाओ तुम,
अज्ञान को धरा से भगाओ तुम,
प्रेम और भाईचारे का संदेश,
घर-घर में पहुँचाओ तुम।
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ज्ञान का दीप जलाओ तुम,
अज्ञान को धरा से भगाओ तुम,
प्रेम और भाईचारे का संदेश,
घर-घर में पहुँचाओ तुम।
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घ से होता है घर,
जिसमें प्रेम से रहें हम,
सबके दुख-दर्द में हाथ बटाएँ,
घर को हम स्वर्ग बनाएँ।
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घ से होता है घर,
जिसमें प्रेम से रहते हम,
बड़े जनों का प्यार हैं पाते,
छोटों को स्नेह दे जाते,
अच्छे बच्चे हम कहलाते।
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-प्रभाकर पाण्डेय
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जिसमें प्रेम से रहें हम,
सबके दुख-दर्द में हाथ बटाएँ,
घर को हम स्वर्ग बनाएँ।
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घ से होता है घर,
जिसमें प्रेम से रहते हम,
बड़े जनों का प्यार हैं पाते,
छोटों को स्नेह दे जाते,
अच्छे बच्चे हम कहलाते।
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-प्रभाकर पाण्डेय
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