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Sunday, March 9, 2008

ऋ --- ऋषि











कहता है, नेक बनो,
परहित में लग जाओ,
मानव की तुम सेवा करके,
सच्चा सुख, आनंद पाओ।











ऋषि वह इंसान कहलाए,
जप-तप में जो समय बिताए,
अहिंसा और प्रेम फैलाए,
बड़ी इज्जत से देखा जाए।

-प्रभाकर पाण्डेय

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