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Tuesday, March 11, 2008

एक है कौआ, दो कबूतर....









एक है कौआ, दो कबूतर,








तीन हैं मेढक, कर रहे टर्र,टर्र।












चार हैं गाएँ, चर रही घास,












पाँच है गिद्ध, नोच रहे मांस।









छह हैं घोड़े, सरपट दौड़ रहे,









सात हैं कुत्ते, भौं, भौं कर रहे।










आठ हैं मछलियाँ, पानी में तैर रहीं,










नौ हैं बिल्लियाँ, चूहे पकड़ रहीं।











दस हैं हाथी, धीरे-धीरे जाते,













प्यारे-प्यारे बच्चों को सैर कराते।
-प्रभाकर पाण्डेय





1 comment:

Satish Saxena said...

आपने नई प्रस्तुति की है, बालजगत पर आपका उपकार है ! कोई आपकी तारीफ़ करे या न करे मगर यह कार्य जारी रखियेगा !
सादर

 
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